एनडीए के भीतर कलह और टूटने की संभावना
राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी (रालोजपा) के अध्यक्ष पशुपति पारस ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि बिहार चुनाव आते-आते राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) टूट जाएगा। उनके इस बयान ने राजनीतिक चहल-पहल को बढ़ा दिया है। एनडीए, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और जदयू जैसे प्रमुख दल शामिल हैं, के भीतर मतभेदों और असहमति की चर्चा लंबे समय से चल रही है।
महागठबंधन में शामिल होने का निर्णय
पारस ने एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने के अपने निर्णय को भी स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि यह फैसला बिहार की जनता के हित में लिया गया है। महागठबंधन में शामिल होने का उद्देश्य राज्य में विकास और न्याय सुनिश्चित करना है।
सीट बंटवारे की तारीखें और रणनीति
पारस ने यह भी बताया कि महागठबंधन में सीट बंटवारे की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया चुनाव से पहले पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न दलों के साथ चर्चा चल रही है ताकि एक मजबूत प्रत्याशी सूची तैयार की जा सके।
बिहार चुनाव का महत्व
बिहार के आगामी चुनावों में सीट बंटवारे की रणनीति का महत्त्व बहुत अधिक है। यह चुनाव केवल राजनीतिक दलों के लिए ही नहीं, बल्कि बिहार की जनता के लिए भी महत्वपूर्ण है। पारस ने यह भी कहा कि महागठबंधन की योजना विभिन्न जातियों और वर्गों को साथ लेकर चलने की है।
पारस का राजनीतिक दृष्टिकोण
पशुपति पारस ने अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका मुख्य लक्ष्य बिहार में विकास और समरसता लाना है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि एनडीए ने पिछले कार्यकाल में विकास का काम किया होता तो शायद यह स्थिति नहीं आती।
निष्कर्ष
चुनाव आते-आते एनडीए का टूटना और महागठबंधन की मजबूती की बातें बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रही हैं। पशुपति पारस के इस दावे को लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी विभिन्न विचार रख रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या पारस का यह दावा सच साबित होगा या नहीं।