भोजपुरी सिंगर देवी की अनोखी कहानी
भोजपुरी सिंगर देवी ने एक नये अध्याय की शुरुआत की है। हाल ही में उन्होंने जर्मन स्पर्म बैंक की मदद से कंसीव कर एक बेटे को जन्म दिया। इस निर्णय ने न केवल उनके करियर को नई दिशा दी है, बल्कि यह उस सोच को भी चुनौती दी है जो शादी और परिवार के पारंपरिक ढांचे से जुड़ी हुई है।
शादी के बिना मातृत्व
देवी ने आजतक डॉट कॉम के साथ एक एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि उन्होंने कभी शादी करने की इच्छा नहीं रखी। उनका मानना है कि मातृत्व के लिए उन्हें किसी पार्टनर की आवश्यकता नहीं थी। देवी ने कहा, “हर महिला चाहती है कि उसका साथ देने वाला कोई हो, मैंने भी चाहा था। लेकिन कई बार ऐसा हुआ कि मेरे पार्टनर्स बिना शादी के बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हुए।”
आईवीएफ का सहारा
इस स्थिति से निपटने के लिए देवी ने आईवीएफ का सहारा लिया। यह प्रक्रिया उनके लिए एक नया रास्ता बनी। उन्होंने यह भी बताया कि शादी के प्रति उनकी अनिच्छा का कारण उन महिलाओं की कहानी है जिनके जीवन में शादी के बाद समस्याएं आती हैं। देवी ने कहा, “मैंने देखा है कि पढ़े-लिखे लोग भी लड़कियों की आजादी को सीमित करते हैं।”
शादी के दबाव से मुक्ति
देवी का कहना है कि शादी के बाद अधिकांश महिलाओं की जिंदगी अपने पति, बेटे और सास-ससुर की परिधि में सिमट जाती है। उनका मानना है कि इससे स्वतंत्रता खत्म हो जाती है और महिलाएँ बंधकर रह जाती हैं। उन्होंने कहा, “मैं कभी बंधकर रहने वालों में से नहीं रही, और यही कारण है कि मैंने शादी को कभी प्राथमिकता नहीं दी।”
महिलाओं का अधिकार
देवी अपने अनुभव से यह संदेश देना चाहती हैं कि महिलाएँ अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने में सक्षम हैं। उनकी कहानी यह दिखाती है कि मातृत्व सिर्फ शादी करने से ही नहीं मिलता। देवी ने कहा, “औरतों का शोषण करना गलत है। हर महिला को अपने फैसले लेने की आजादी होनी चाहिए।”
समाज में बदलाव की आवश्यकता
देवी की कहानी समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आई है। आज के समय में जहां महिलाएँ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं, ऐसे में देवी का निर्णय एक प्रेरणा बन सकता है। उनका यह साहसिक कदम न केवल उनके लिए, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा है जो अपने जीवन को अपने तरीके से जीना चाहती हैं।
निष्कर्ष
भोजपुरी सिंगर देवी ने एक नए मोड़ पर कदम रखा है, जिसने परंपरागत सोच को चुनौती दी है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि मातृत्व और व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक साथ चल सकते हैं। आज की महिलाएँ अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही हैं, और देवी की कहानी एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।