दरगाह में अशोक पट्टिका का विवाद
जम्मू में हजरत बल दरगाह में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक पट्टिका को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह मामला तब गरमाया जब जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने इस प्रतीक को तोड़ने का आदेश दिया। इस घटना ने क्षेत्र में गंभीर प्रतिक्रिया उत्पन्न की है, खासकर मुस्लिम समुदाय के बीच।
महबूबा मुफ्ती की प्रतिक्रिया
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह कदम मुसलमानों की भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से किया गया है। महबूबा ने सरकार से मांग की है कि इस घटना को गंभीरता से लेते हुए FIR दर्ज की जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्य समाज में असहमति और विभाजन पैदा करते हैं, जो कि बेहद चिंताजनक है।
उमर अब्दुल्ला का बयान
हालांकि, इस मामले में फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने माफी मांगने की इच्छा व्यक्त की है। उमर ने कहा कि इस घटना से अगर किसी की भावनाएँ आहत हुई हैं, तो वह इसके लिए खेद व्यक्त करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संवाद और सहिष्णुता के माध्यम से ही हम एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकते हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस विवाद ने न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी हलचल पैदा कर दी है। कई संगठनों और नेताओं ने इस घटना की निंदा की है और इसे सांप्रदायिक सौहार्द को तोड़ने का प्रयास बताया है। जम्मू-कश्मीर में पहले से ही संवेदनशील स्थिति को देखते हुए यह मामला और भी गंभीर हो गया है।
सरकार की भूमिका
सरकार की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण है। यदि सरकार इस घटना को गंभीरता से नहीं लेती है, तो यह अन्य समुदायों के बीच और भी विवाद पैदा कर सकता है। महबूबा मुफ्ती ने सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील की है ताकि इस मामले का निपटारा किया जा सके।
निष्कर्ष
अशोक पट्टिका का यह विवाद दरगाह में एक और संवेदनशील विषय को उजागर करता है। जहाँ एक ओर महबूबा मुफ्ती ने FIR की मांग की है, वहीं दूसरी ओर उमर अब्दुल्ला ने माफी की पेशकश की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए, सभी पक्षों को इस विषय पर जमीनी स्तर पर काम करना होगा।